27 December 2013

How can I Forget Someone

How can I Forget Someone

मन नही था दोस्तो के साथ बातचीत करने का पर जबरदस्ती मन बहलाने की कोशिश में कुछ न कुछ टाॅपिक छेड ही रहा था, केजरीवाल पार्टी की सरकार बनेगी, किसी ने कहा तो, झुंझलाहट से कहा कि अरे छोडो न जिस की किस की सरकार बनेगी या ना बनेगी,तू क्यों टेंशन ले रा हैं, सभी ने हाॅमी भर दी हा ठीक बात हैं, कुछ बढिया सी बात सुना, नई सेंटिंग बनी या कोई नई खबर कहा तू अभी से राजनीति में टांग अडा रहा हैं, और सभी हॅस पडें।
अक्सर जब मन नहीं लगता था, तुम्हारी यादें हद से ज्यादा सताने लगती हैं तो  इसी तरहाॅ दोस्तो में आकर मटरगस्ती करने लगता हूूं, वैसे  तुम हरदम मेरी दिल दिमाग में ऐसे छायी रहती हो जैसे ध्रती पर बादल,लेकिन कभी-कभी जब ज्यादा हताश और उदास होता हॅू तब चला आता हॅू इनको बरगलाने और अपनी तन्हाईयो से कुछ देर दूर हो जाने कोे इनके बीच में, दूर गली के नुक्कड़ पर जाती एक लड़की को देखकर एक बोला कि अबे देख बंदी ;चेलीद्ध जा रही हैं, दूर जाती लड़की को देखा और टशन लेने के लियें कहा ‘‘क्या बात हैं तूने भी पफंसा ली’’ दूसरे ने कहा नहीं भाई इसकी नहीं हैं किसी और और की हैं, अब मिला मौका टांग खीचने का, ‘ले अबे पिफर ये तेरी भाभी होगी बंदी ना, बेटा मारेगा बहुत जिसकी होगी और सभी हसने लगे, किसी भी लड़की को देखा नहीं और बोल दिया बंदी, अबे बंदी होने के लिए बातचीत भी होना जरूरी होता हैं, वह खेझ गया और कहने लगा कि भाई मैने कब कहा कि बंदी ये वो, मैंने कहा था देख वो जा री हैं, अपनी सपफाई देते हुऐ उसने कहा और पिफर हम सब शांत हो गये।
 मैंने पिफर छेडा अच्छा चल नाम तो बता,
‘‘किसका ’’ उसने कहा ‘‘अबे बंदी का और किसका’’
उसका.... उसका नाम हैं ...................
चन्द लम्हों के लिए ऐसा लगा जैसे कोई तेज भूकंप का झटका लगा हो और सिर चकरा गया, मैं खो गया था न जाने किस दुनिया में। बुत सा ऐसे खडा रहा गया जैसे गर्मी के मौसम में पेड  एकदम शांत, पत्ते में कपंन तक का अहसास नही होता। ऐसा महसूस हुआ कि मैं पिफर उसी जगह आ खडा हुआ जहाॅ से कितना कुछ खोकर  मैं दूर गया था, अपने ही विचारों में खोया था मैं कि किसी नें झंकझोर कर कहा ‘‘क्या हुआ भाई कहा खो गया हट जा’’ मैं समझ नहीं पाया उसका कहना और ना ही चाहता था समझना। उसने पिफर कहा हट जा भाई रिक्शा निकल जाने दे, तब अहसास हुआ कि पीछे कोई रिक्शा वाला इंतजार में खडा था, सूनी आॅखो से उसे देखते हुऐ मुझे लगा कि कही मैं रो न पडू और मन को संभालते हुऐ मैंने कहा निकल भाई तू भी निकल।
रिक्शा वाला बड़बडा रहा था गली घेर रखी हैं सारी साईड में ना खडे हो सकते।
उसका नाम हैं ................. दिमाग में बिजली बनके दौड़ रहा था वो नाम और में बीच गली में सभी दोस्तो के बीच चुपचाप गुमसुम पानी की शांत लहरो की तरहा खडा सोच रहा था मैं तुम्हे, और सोच रहा था...........
Can I forget You


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