26 December 2013

गुनाह था क्या

इश्क ही तो किया हैं कोई गुनाह तो नहीं किया यही सोचकर एक एसएमएस लिखा और भेज दिया, हालांकि वह एसएमएस तुम तक पहुंचा या नहीं वो तो मैं आज तक नहीं जान पाया, तुम्हारे जवाब की तरहाॅं। तुम नाराज हो मुझसे कोई ये कहता तो नहीं मुझसे पर सब कहते हैं की तुम बहुत खुश नजर आती तो हरदम उन्हें, पिफर क्यों न जाने तुम मेरे सामनें ऐसे रहती हो जैसे दुनिया भर की बैर हो मुझसे और शायद यू ही मेरे दोस्त चिढ़ाने लगे हैं मुझे आजकल।
आज तुम्हारा जन्मदिन हैं तो बहुत बैचेन था कि जवाब तो कभी भी मिल सकता हैं पर तुम्हे विश कैसे किया जायें,ऐसा नहीं हैं कि डरता हूू मैं किसी से पर तुमने ही रोका था, तो मिलने की कोशिश नहीं करना चाहता पर विश जरूर करना चाहता था तो टाईप किया मेसेज ओर भेज दिया तुम्हे जो लिखा था मैंने तुम्हारे लियें।

गूगल भी बहुत स्मार्ट हैं कभी लिखा था, और आज ड्राफ्रट में अचानक मिल गया तो अध्ूरा ही सही पर.........



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