मेघो ने भी बरसाई बूंदे
चन्द पंक्तिया जो कभी लिखी थी बहुत कुछ बह जाने के बाद..........
मेघो ने भी बरसाई बूंदे
दिल से था जब मैं रोया
और बैठ अकेला छत पर
तब जी भर के था मैं रोया
ताक रहा था उस अम्बर को
साथ मेरे जो रोया
तोड़ा था दिल किसने उसका
साथ मेरे था जो रोया
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